Jan Siksha Samiti पत्रक

पत्रक

प्रिय बन्धु

  नमस्कार,

कोविड – 19 से प्रभावित होने कारण विद्यालय लगभग 11 माह बन्द रहे। 24 मार्च को विद्यालय बन्द होने के बाद कठोर लाकडाउन में भी हम निराश नहीं है हम सभी ने यथा योग्य समाज के लोगों तक आवश्यक सुविधायें उपलब्ध कराने का प्रयास किया एल.एम.एस. ऐप, वाट्सऐप, फोन के माध्यम से आनलाइन कक्षा शिक्षण भी किया। मुहल्ला/ग्राम पाठशालाओं का आयोजन भी किया। इस कठोर परिश्रम के कारण ही हमारे भैया बहिन हमारे सम्पर्क में लगातार बनें रहे। विद्यालय खुलते ही भैया। बहिनों को आगमन हुआ। 2-4% भैया बहिन ही हम से अलग हुए। अतएव अब विद्यालय को पूर्ववत् मार्च 20 से अच्छी स्थिति में लाने के लिए कठोर परिश्रम की आवश्यकता है। इस हेतु निम्नांकित प्रयास करना उपयोगी रहेगा।

कक्षाशः एवं विषयशः

आचार्य बन्धु भगिनी पुराने छात्रों को वापस लाने हेतु सम्पर्क करें।
  • अरूण, उदय, कक्षा षष्ठी, नवमी और एकादशी कक्षाओं में प्रवेश हेतु अन्य विद्यालयों के छात्रों के अभिभावकों से सम्पर्क करें।
  • अपने आचार्य बन्धु भगिनी को प्रोत्साहित करने हेतु प्रबन्ध समिति के पदाधिकारियों, सदस्य, जिला मंत्री, अध्यक्ष सदस्य, संभाग निरीक्षक को विद्यालय में आमंत्रित करें
  • सहयोगी अभिभावक बन्धुओं माताओं को वन्दना सभा में सम्मानित करें नवीन प्रवेश हेतु प्रत्येक ग्राम में एक प्रवेश समिति बना दें। यह समिति विद्यालय में प्रवेश हेतु नागरिकों ग्रामीणों को प्रेरित करेगी।
  • अपने विद्यालय को मार्च 20 से अच्छी स्थिति में लाने हेतु दैनिक कार्य योजना बनायें और सायंकाल समीक्षा करें।
  • प्रतिदिन की उपस्थिति की समीक्षा करें अनुपस्थित छात्रों के अभिभावकों से नियमित वार्ता करें।
  • कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है विद्यालय में कोविड-19 को रोकने हेतु समुचित सावधानियां अपनायें।

सशक्त एवं सक्षम विकास खण्ड :-

  • प्रत्येक विकास खण्ड मुख्यालय पर विद्याभारती का समर्थ एवं सक्षम केन्द्र खड़ा हो जिसे राष्ट्रीय शिक्षानीति 20 में कलस्टर कहा गया है यह केन्द्र प्रभावी एवं आदर्श रूप में अरूण से लेकर द्वादश तक विद्यालय हो जो संसाधन युक्त एवं स्वावलंबी हो।
  • अंकुर, अरूण, उदय की शिक्षा व्यवस्था हेतु साधन सम्पन्न प्रभावी शिशु वाटिका हो जिसमें शिशु वाटिका के बारह आयाम प्रभावी हों।
  • समाज में परिवर्तन लाने वाला प्रभावी संस्कार केन्द्र हो।
  • मानक परिषद द्वारा असेसमेण्ट और रिपोर्ट शेयरिंग के बाद प्रभावी सुधार योजना लागू हो।
    सम्पूर्ण खण्ड की गतिविधियों के विधिवत संचालन हेतु एक टोली हो जो खण्ड के विद्यालयों की समस्याओं का समुचित समाधान कर सकें
  • विद्यालय विस्तार एवं विकास में योगदान कर सके।

कौशल विकास :-

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कक्षा 6 से द्वादश तक छात्र-छात्राओं को रोजगार युक्त शिक्षा की बात है। इस हेतु सत्रभर में 10दिन बस्ता विहीन घोषित किया है। इस हेतु विद्यालय में एक आचार्य जी को कौशल विकास प्रमुख बनायें। जिला स्तर पर कौशल विकास केन्द्र एवं आई टी. आई से सम्पर्क कर अपने विद्यालय में किन-किन कौशलों के विकास की योजना बनायी जा सकती है, जानकारी करें। उ.प्र. सरकार एक जिला एक उत्पाद के अन्तर्गत विभिन्न कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति अपनायी है इस योजना के अनुसार आप के जिले का जो प्रमुख उत्पाद है उसके उत्पादन में किस कौशल का विकास संभव है। प्रयास कर छात्र छात्राओं को प्रेरित करें। कम्प्यूटर प्रयोग, कम्प्यूटर मरम्मत, रक्षा सूत्र (राखी) निर्माण, दीपक निर्माण, नववर्ष कार्ड निर्माण झालर निर्माण आदि के द्वारा भी छात्रों को स्वावलंबी बनाया जा सकता है।

पर्यावरण संरक्षण :-

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 20 में पर्यावरण संरक्षण, जल प्रबन्धन, ऊर्जा बचत, मृदा एवं वायु प्रदूषण से मुक्त समाज की रचना पर विशेष बल दिया है। इस हेतु विद्यालय में अभिभावकों, छात्रों को साथ लेकर पर्यावरणटीम का गठन करें। बरसात में ‘विद्यालय का पानी विद्यालय में’ रहे ऐसा प्रबन्ध करें। बिजली की खपत कम करने हेतु LED बल्बों का प्रयोग हो। विकास खण्ड मुख्यालय से विद्यालय में सौर ऊर्जा के पैनल लगवाने हेतु प्रयास करें। संभव हो तो सम्पूर्ण विद्यालय सौर ऊर्जा से संतृप्त हो जाय।

प्रशिक्षण :-

विद्यालय के सर्वांगीण विकास में प्रशिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है इस हेतु प्रत्येक विद्यालय में एक युवा, आधुनिक तकनीकों का जानकार, उत्साही आचार्य को प्रशिक्षण प्रमुख बनायें। माह के अन्त में विद्यालय में प्रशिक्षण वर्ग का अयोजन किया जाय। संकुल केन्द्र विद्यालय को प्रशिक्षण संसाधनों से परिपूर्ण किया जाय । प्रशिक्षण टोली में प्रबन्ध समिति, अभिभावक, पूर्व छात्रों का भी सहयोग लिया जाय प्रशिक्षण हेतु डायट एवं प्राथमिक विद्यालयों के । का भी सहयोग लिया राष्ट्रीय शिक्षा नीति 20 परिप्रेक्ष्य में आचार्य बन्धु भगिनी के ARP (Acadmic Resource Person)  साथ-2 विद्यालय के भैया बहिनों, कर्मचारियों, प्रबन्ध समिति के पदाधिकारियों, अभिभावकों का भी प्रशिक्षण काराया जाय विद्यालय के प्रत्येक घटक का कम से कम 50 घण्टे का प्रशिक्षण आवश्य कराया जाय।

शैक्षिक समूह :-

प्रत्येक विद्यालय स्तर पर शैक्षिक समूह का गठन किया जाय, यह शैक्षिक समूह प्रतिदो माह में बैठक कर विद्यालय के सर्वांगीण विकास की कार्ययोजना बनाकर प्रधानाचार्य के साथ क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे समाज से खोजकर विषय प्रमुख बनायें जो युवा हो। (1) विद्वत परिषद (2) मानक परिषद (3) शोध परिषद (4) प्रशिक्षण परिषद (5) शिशु वाटिका (6) ई-पाठशाला प्रमुख इन छः परिषदों का संयुक्त रूप ही शैक्षिक समूह है।

शिशु वाटिका :-

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 20 में फाउण्डेशन अर्थात् 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया गया है अब सभी विद्यालयों में शिशु वाटिका विभाग को प्रभावी और सक्रिय बनाना है। शिशु वाटिका के विकास में अभिभावक माताओं बहिनों का चयन कर उनका सक्रिय सहयोग अपेक्षित है। आगामी मई माह में जिला एवं सह जिला प्रमुख बहिनों का प्रशिक्षण वर्ग आयोजित है यह बहिने अपने जिले की सभी शिशु वाटिका की बहिनों को प्रशिक्षित करेंगी। विद्यालय में शिशु वाटिका परिसर, शिशु वाटिका की स्वतंत्र प्रभारी एवं शिशु वाटिका बजट की व्यवस्था बनानी चाहिए शिशु वाटिका प्रभारी को शिशु वाटिका के सर्वांगीण विकास हेतु मासिक अद्धर्वार्षिक एवं वार्षिक कार्य योजना बनानी चाहिए प्रबन्ध समिति की किन्हीं दो महिला सदस्यों को शिशु वाटिका प्रबन्धन का दायित्व देना चाहिये।

संस्कृति बोध परियोजना :-

वर्तमान समय में भारतीय जीवन मूल्यों, परम्पराओं, रीतिरिवाजों राष्ट्रीय महापुरुषों के बारे में राष्ट्रीय स्वाभिमान शून्यता का भाव युवा पीढ़ी में बढ़ता जा रहा है। जीवन मूल्यों, परम्पराओं, अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित कराने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन प्रतिवर्ष होता है।

कोविड-19 महामारी के कारण इस सत्र में संस्कृति ज्ञान परीक्षा में सहभागिता कम रही आगामी सत्र में विशेष अभियान लेकर आपने विद्यालय के सभी छात्रों का संस्कृति ज्ञान परीक्षा में सम्मिलित कराया जाय, अपने नगर के सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्य बन्धु भगिनी को अपने विद्यालय में बैठक कर परीक्षा हेतु प्रेरित किया जाय संस्कार केन्द्र के भैया बहिनों हेतु संस्कृति प्रवाह नामक पुस्तिका कुरूक्षेत्र से मंगायें। निबन्ध प्रतियोगिता में सभी भैया बहिनों एवं आचार्यों को सम्मिलित करायें। संस्कृति शिक्षा संस्थान समाजोपयोगी अच्छे चित्रों एवं पुस्तकों का प्रकाशन करता है। अपने विद्यालय एवं अभिभावकों हेतु कुछ चित्र एवं साहित्य मंगाना चाहिये। मातृ सम्मेलन, अभिभावक सम्मेलन, शरीरिक प्रदर्शन एवं रंगभंगीय कार्यक्रम के समय ऐसे साहित्य की बिक्री का स्टाल लगाना चाहिये।

पूर्व छात्र परिषद :-

पूर्व छात्र विद्याभारती के ब्राण्ड अम्बेस्डर है सभी पूर्व छात्रों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी विद्यालय में रखनी चाहिये/सेवारत छात्रों को विद्यालय की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में सक्रिय एवं प्रभावी भूमिका निभाने हेतु दायित्व देना चाहिये। विद्याभारती पोर्टल पर अपने विद्यालय का पंजीकरण आवश्य करायें। विद्यालय की उच्चतम कक्षा के छात्र-छात्राओं का पंजीकरण प्रतिवर्ष करायें। विद्याभारती पार्टल पर अभी तक 450342 भैया बहिन पंजीकृत है जिसमें पूर्व उत्तर प्रदेश से मात्र 25064 छात्र ही पंजीकृत हैं। पंजीकरण में किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिये डा. पंकज, अखिल भारतीय पूर्व छात्र प्रमुख से सम्पर्क करें सम्पर्क सूत्र 9466194004 कुरुक्षेत्र हरियाणा।

विद्वत परिषद एवं क्रिया शोध :-

विद्यालय स्तर से लेकर प्रान्तीय स्तर तक विद्वत परिषद एवं क्रिया शोध परिषद का गठन करें। विद्वत परिषद एवं क्रिया शोध प्रमुख संगठक और विद्वान हों सभी को साथ लेकर विद्याभारती के विचार को सर्वदूर सभी देशवासियों में प्रचार प्रसार करने वाले लोग हों समाज के विभिन्न लोगों के मध्य शैक्षिक विचार गोष्ठियों का आयोजन कर सकरात्मक राष्ट्रीय विमर्श प्रस्तुत करने वाले हो विभिन्न शोध प्रक्रियाओं में सहयोगी बनकर समाज की विद्यालय की विभिन्न प्रकार की समस्याओं का समाधान कर परिणामों का समुचित अभिलेख तैयार कर सकें। अभिलेखों की एक-एक प्रति प्रान्तीय क्षेत्रीय कार्यालय का भेजें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 20 से सभी आचार्य बन्धुभगिनी को भी विद्वत परिषद अवगत कराये।

वार्षिक कार्य योजना :-

कोविड-19 महामारी के कारण हम गत सत्र की योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं कर सके। कुछ छात्र भी हम से अलग हो गये अतएव होली आवकाश के पूर्व या बाद में 5 अप्रैल तक अपने विद्यालय की विशद कार्य योजना बनायें। छात्र संख्या की दृष्टि से मार्च 20 की पंजीकृत छात्र संख्या से आगे बढ़ने की योजना बनायें।योजना में विद्यालय संसाधन, पूर्व छात्र, आचार्य, अभिभावक, कर्मचारी सभी के सतत् एवं व्यापक प्रशिक्षण की योजना  बनाने की जरूरत है। प्रभावी संस्कार केन्द्र, शिशु वाटिका, मातृभारती, शिशु भारती, छात्र संसद एवं कन्याभारती, किशोरी शिविर हेतु प्रभावी कार्य योजना बतायें।

विस्तार योजना :-

हम सभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता हैं। 2025 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाया जायेगा। हम सभी कार्यकर्ता इस राष्ट्रयज्ञ के पुनीत कार्य में क्या योगदान कर सकते हैं, विचार करें। आगामी सत्र 21-22, 22-23, 23-24 व 24-25 में हम आपने जिला/संकुल में कितने विद्यालयों का विस्तार कर सकते हैं इस हेतु चुनौती पूर्ण क्षेत्र, समीक्षा क्षेत्र, वनवासी क्षेत्र, रिक्त तहसील मुख्यालय, विकास खण्ड मुख्यालय, रिक्त विकास खण्ड एवं बड़ी न्याय पंचायतों को सूची बद्ध करें। इस हेतु सम्बन्धित स्थानों पर टोली बनायें, अर्थ संग्रह करें। विद्यालय हेतु किराये के भवन की व्यवस्था करें और अपने विद्यालय से 2-3 आचार्यों को प्रधानाचार्य बनाने की व्यवस्था करें। किसी भी परिस्थिति में ग्राम समाज या सरकारी भवन में विद्यालय न प्रारम्भ करें। विद्यालय प्रारम्भ करने के बाद कक्षा पांॅच की मान्यता प्राप्त होने तक जिला प्रमुख/संकुल प्रमुख/जिला अध्यक्ष/ जिला मंत्री सम्बन्धित विद्यालय के संरक्षक की भूमिका निभायें।

प्रचार प्रसार विभाग :-

विद्या भारती विद्यालय की गतिविधियां समाज के सभी क्षेत्रों में प्रचारित प्रसारित हों इस हेतु विद्यालय से प्रान्त स्तर तक (।) प्रचार प्रमुख (।।) सोशल मीडिया प्रभारी तथा (।।।) संवाददाता बनाने की आवश्यकता है। यह टीम प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया सोशल मीडिया, वाट्सएप गु्रप, फेसबुक पेज पर सक्रिय रहें विद्यालयों की वेबसाइट बनाने की आवश्यकता है विद्यालय सम्बन्धी सभी सूचनायें समय-समय पर अपडेट करते रहें। विद्यालय स्थापना से लेकर वर्तमान तक की विद्यालय विकास यात्रा की जानकारी और कुछ चित्रों से युक्त 6 फोल्ड का प्रचार पत्रक बनाना चाहिये। यह फोल्डर आकर्षक कार्डशीट पर 4 कलर (रंगीन) में हो।

समपर्ण :-

गतवर्षों की भांति इस वर्ष भी समपर्ण सप्ताह मनाया जायेगा। चैत्र वर्ष प्रतिपदा से श्री रामनवमी तक शक्ति आराधना का समय है, वनवासी, गिरिवासी, व मलिन बस्तियों एवं झुग्गी झोपड़ियों में निवास कर रहे अपने बंधु – बांधवों के पाल्यों को शैक्षिक सहयोग देने वाले संस्कार केन्द्रों एवं एकल विद्यालयों को आर्थिक देने हेतु प्रबंध समिति के पदाधिकारियों, पूर्व छात्रों, अभिभावकों, आचार्य बंधु भगिनी एवं छात्र छात्राओं का आर्थिक समर्पण आवश्यक है। शक्ति आराधना के काल में किया गया समर्पण पुण्य अर्जित करने में सहायक होगा आपसे आग्रह है की प्रतिपदा से नवमी तक प्रतिदिन वंदना सभा में प्रेरणादायी प्रसंग और प्रेरणादायी समर्पण करने वाले समाज के गणमान्य नागरिकों से वार्ताकर आमंत्रित करें। समर्पण की सम्पूर्ण धनराशि 15 अप्रैल तक प्रान्तीय कार्यालय भेंजें।

आगामी प्रशिक्षण :-

(1) बालिका शिक्षा प्रशिक्षण वर्ग

16 मई सायं से 23 मई तक

स.वि.म. निराला नगर – लखनऊ

शुल्क रु. 1500/-

सभी बालिका विद्यालयों की आचार्य बहिनें

(2) प्रान्तीय शिशु वाटिका प्रशिक्षणवर्ग

19 मई सायं से 29 मई सायं तक

सरस्वती शिशु मन्दिर सुल्तानपुर

शुल्क – 2500/-

संकुल/सहसंकुल शिशु वाटिका प्रमुख (नगरीय)

जिला/सहजिला शिशु वाटिका प्रमुख (ग्रामीण)

महाशिवरात्रि एवं होली की शुभकामनायें विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान