जनशिक्षा समिति अवध प्रदेश के शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते कदम
हमारा देश प्राचीन काल से ही ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी रहा। विभिन्न प्रतिकूलताओं ने शिक्षा के क्षेत्र को भी प्रदूषित किया। विभिन्न परिवर्तन किये परिणाम स्वरूप यवा पीढ़ी की सोच एवं कार्यशैली में भी परिवर्तन हुआ । देश को हम क्या दे सकते है की सोच के स्थान पर देश हमें क्या देता है? समाज हमें क्या देता है का भाव पैदा होने लगा। वैज्ञानिक , चिकित्सक , अभियन्ता चन्द डालरों की लालच में भारतभूमि को छोड़कर विदेश जाने को लालायित होने लगे। स्वतंत्रता के बाद में भी देश की शिक्षा व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। अंग्रेजों की शिक्षा पद्धति को ही भारतीय शिक्षा का नाम दिया गया, यहाॅ तक महात्मा गाॅधी की बुनियादी शिक्षा प्रणाली को भुला दिया गया। भारतीय जीवन मूल्यों , परम्पराओं ,संस्कृति को त्याग दिया गया। शिक्षा के नाम पर साक्षरता मात्र बढ़ी, संस्कार विलुप्त होने लगे, शिक्षा बढ़ने के साथ भ्रश्टाचार अनैतिकता,संवेदनशून्यता बढ़ने लगी। देश का जागरूक वर्ग चिन्तित हुआ ।
परिणाम स्वरूप 1952 में उत्तरप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक अभिनव प्रयोग किया गया। जिसमें अंकज्ञान,अक्षरज्ञान के साथ-2 संस्कारयुक्त शिक्षा को बरीयता प्रदान की गयी। यह प्रयोग सरस्वती शिशु मंदिर शिक्षा योजना के नाम से जाना गया। समाज ने इस प्रयोग को स्वीकार किया। धीरे-2 सम्पूर्ण उत्तरप्रदेश ही नहीं भारत के अन्य प्रदेशों में भी विस्तार हुआ। अभी तक यह प्रयोग नगरों तक ही सीमित रहा। धीरे-2 ग्रामीण क्षेत्रके शिक्षा की दृश्टि से चिन्तन-मनन हुआ।
1986 में जन शिक्षा समिति पूर्वी उत्तरप्रदेश का गठन हुआ। 1990 में जन शिक्षा समिति अवध प्रदेश का गठन किया गया जिसका वर्तमान कार्यालय 892 केशवधाम अवधपुरी फैजाबाद में है। यह संस्था फैजाबाद,गोण्डा एवं लखनऊ मण्डलों में शिक्षा एवं संस्कार का पवित्र कार्य कर रही है। वर्तमान समय में 93 प्राथमिक, 94 जूनियर हाईस्कूल, 17 हाईस्कूल, 07 इण्टरकालेजों को संचालन कर रही है।इन संस्थाओं के प्रबन्धन एवं निरीक्षण हेतु जिले स्तर पर पंजीकृत समितियाॅ होती है। जिनका समय -समय पर नवीनीकरण एवं पुनर्गठन होता रहता है।
झुग्गी, झोपडि़यों, अति पिछड़े क्षेत्रों एवं वनवासी नागरिको को शिक्षित एवं संस्कारित करने हेतु 20 एकल शिक्षक विद्यालय 140 संस्कार केन्द्र एवं 10 शिशु वाटिका निःशुल्क चलाये जा रहे है। सीमावर्र्ती जिलों बलरामपुर, श्रावस्ती,बहराइच तथा लखीमपुर की थारू जनजाति के विकास हेतु पंचपेड़वा , बलरामपुर,रूपईडीहा , बहराइच, चन्दनचैकी , बेलापरसुवा , लखीमपुरखीरी में विशेश प्रकल्प चलाये जा रहे है। पंचपेड़वा, बलरामपुर, में शिवबरन विश्वकर्मा के नेतृत्व में 5 संस्कार केन्द्र, रूपईडीहा, बहराइच में श्री अनिल जी के नंतृत्व में 5 संस्कार केन्द्र चलाये जा रहे है। चन्दनचैकी, लखीमपुर में श्री नरोत्तम कुमार जी के नेतृत्व में 10 संस्कार केन्द्र चलाये जा रहे है।
चन्दनचैकी में 830 छात्र छात्रायें अध्ययन कर रहे है। 80 छात्रों को निःशुल्क छात्रावास चलाया जा रहा है। जिसकी व्यवस्था समाज के सहयोग से होती है एवं अन्य सुविधायें विद्यालय प्रदान करता है । इसी केन्द्र पर सीमा सुरक्षा बल स्थानीय ग्रामीण युवकों के विकास हेतु खेलकूद का आयोजन प्रतिवर्श करता है। महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा कंप्यूटर प्रयोगशाला एवं सिलाई – कढ़ाई की स्थापना हेतु निधि प्रदान की गई तथा इनके एवं उत्तर प्रदेश शासन के प्रयास द्वारा 1. 83 हेक्टेअर भूमि एवं कक्षा ९ से १२ तक की विज्ञानं एवं मानविकी वर्ग की मान्यता प्राप्त हुई। जन शिक्षा समिति अवध प्रदेश भविष्य में यहाॅ निःशुल्क चिकित्सालय , पुस्तकालय एवं क्रीड़ासंकुल विकसित करेगी। बेलापरसुवा में 350 छात्र छात्रायें अध्ययनरत है। छात्रावास प्रारम्भ कर दिया गया है। भविष्य में अन्य गतिविधियाॅ संचालित करने की योजना है।
जन शिक्षा समिति अवध प्रान्त उत्तर प्रदेश एक पंजीकृत संस्थान है जिसका अपना निजी कार्यालय है जिसमें प्रदेश निरीक्षक की सहायतार्थ 4 सम्भाग निरीक्षक , 2 कार्यालयप्रमुख एवं 1 कर्मचारी कार्यरत है। भविष्य में जन शिक्षासमिति अवध प्रदेश द्वारा जन सहयोग से रिक्त विकास खण्ड मुख्यालयों पर विद्यालय खोलने की योजना है। जन सहयोगी बन्धुओं से सहयोग की अपेक्षा है।