हमारी गतिविधियाँ
आचार्य चयन –
अपने विद्यालयों के आचार्यों का चयन जिला समितियाॅं करती हैं। चयनित आचार्यों का दस दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान कर नियुक्ति हेतु विद्यालयों में भेजा जाता है। आचार्य प्रशिक्षण – आचार्यों के सर्वागीण विकास हेतु सतत् प्रशिक्षण होता रहता है, इस हेतु संकुल स्तर पर विषयप्रमुख नियुक्त होते हैं, अपने -2 संकुल पर विषयशः प्रशिक्षण होता रहता है.
खेलकूद –
भैया बहिनों के शारीरिक मानसिक विकास हेतु विद्यालय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन होता है। विद्याभारती को स्कूल गेम्स फेडेरेशन आॅफ इण्डिया से सम्बद्धता प्राप्त है।
विज्ञान मेला –
विद्यालयों के भइया बहिनों में वैज्ञानिक अभिरूचि का विकास हो, विज्ञान के प्रयोगों में रूचि बढ़े, नवीन आविष्कारों की प्रवृत्ति विकसित हो इस हेतु विज्ञान प्रयोग, विज्ञान प्रदर्श, विज्ञान प्रश्नमंच, वैदिक गणित के प्रश्नमंचों का आयोजन विद्यालय स्तर से अखिल भारतीय स्तर तक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
संस्कृति ज्ञान परीक्षा –
विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति, जीवन मूल्यों, हिन्दू संस्कारों, भारतीय विज्ञान की विशिष्ट जानकारी हो, इस हेतु कक्षा 4 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों की संस्कृति ज्ञान परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है। छात्रों के लिए शिशु, बाल, किशोर, तरुण वर्ग में विद्यालय स्तर से अखिल भारतीय स्तर पर निबध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है।
शैक्षिक प्रदर्शनी –
सभी विषयों के शिक्षण में सहायक सामग्री का प्रयोग कर शिक्षण होता है सभी विद्यार्थी अपनी रुचिनुसार विषयशः शैक्षिक प्रदशर्नी का आयोजन विद्यालय स्तर पर होता है।
अभिभावक गोष्ठी –
हमारे अभिभावक हमारे संरक्षक होते हैं। आचार्यों – अभिभावकों में आपसी वार्तालाप होता रहे, विद्याथिर्यांे के विकास में दोनों की सोच एक दिशा में विकसित हो इस हेतु आचार्य सतत् अभिभावक सम्पर्क करते है। अभिभावकों, माताओं बहिनों के वैचारिक आदान-प्रदान हेतु अभिभावक गोष्ठी, मातृसम्मेलनों का आयोजन होता रहता है।
वार्षिकोत्सव –
प्रत्येक विद्यालय वर्ष में एक बार अपना वार्षिकोत्सव करता है। प्रत्येक छात्र-छात्रायें कार्यक्रम में भाग लेते हैं। अभिव्यक्ति की क्षमता विकास हेतु रंगमंचीय कार्यक्रमों का आयोजन होता है जिसमें एकांकी, समूहगान, शास्त्रीय नृत्य, लोकगीत आदि कार्यक्रम होते है। इसी तरह आसन, व्यायाम, सूर्यनमस्कार एवं विभिन्न प्रकार की शारीरिक दक्षताओं का प्रदर्शन ”शारीरिक प्रदर्शन“ कार्यक्रम में सम्पन्न होते हैं।
शिशुभारती –
छात्र-छात्राओं में नेतृत्व क्षमता, साहस, नैतिकता, आध्यात्मिकता, करुणा, दया, राष्ट्रशक्ति, सामाजिक समरसता के गुणों के विकास हेतु शिशुभारती छात्र संसद का गठन किया जाता है, इन संगठनों से छात्र-छात्राओं मंे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का ज्ञान कराया जाता है। छात्र-छात्रायें विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए विद्यालय विकास में महती भूमिका का निर्वहन करते है।
पूर्व छात्र परिषद –
जन शिक्षा समिति के सभी विद्यालयों में पूर्व छात्र परिषद का गठन किया जाता है। विद्यालयों से निकले पूर्व छात्र देशभर में विभिन्न प्रकार के दायित्वों का कुशलता पूर्वक निर्वहन कर रहे है। विद्यालय, जिला एवं प्रान्त स्तर तक पूर्व छात्र परिषदों का गठन किया जाता है। 2 जनवरी को जिला/प्रान्तीय सम्मेलन होते हैं।
प्रान्तीय/जिला समिति –
जिला स्तर पर विद्यालयों के संचालन हेतु पंजीकृत जिला समितियाॅं होती हैं। जन शिक्षा समिति अवध प्रांत की साधारण सभा, प्रबंध कारिणी की नियमित बैठक होती है।